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लेखनी कहानी -01-Jun-2023 कातिल कौन

भाग 4 
थानेदार मंगल सिंह के जाने के बाद अनुपमा चाय बनाने के लिए किचिन में आ गई । मंगल सिंह ने उसके दिमाग में शक का कीड़ा डाल दिया था जो बाहर निकलने का नाम नहीं ले रहा था । वह चाय बना तो रही थी लेकिन उसका सारा ध्यान इस बात पर लगा हुआ था कि सक्षम उसका पर्स चोरी क्यों करेगा ? क्या उसे उस पर विश्वास नहीं है ? उसने तो कभी सक्षम पर अविश्वास नहीं किया । वह तो रातों के बारह बारह बजे तक गायब रहता है लेकिन उसके दिमाग में ऐसी कोई बात आई ही नहीं और न ही उसने इस बारे में कभी पूछा । वह तो यह मानकर चलती है कि ऑफिस के कारण देर हो गई होगी या फिर ट्रैफिक के कारण विलंब हुआ होगा । और कोई कारण उसके दिमाग में आया ही नहीं । आज वह कुछ और सोचने लगी थी ।

वह चाय बनाकर ऊपर छत पर आ गई । शाम हो गई थी और छत पर ठंडी ठंडी हवा चल रही थी । उसने दो कप चाय बनाई थी । एक कप अक्षत के लिये और एक कप अपने लिए । उसने अपने कपड़े जो उसने सूखने के लिए तार पर डाले थे, उतारे और एक बास्केट में डाल दिए । उसके बाद उसने अक्षत को चाय पीने के लिए बाहर छत पर बुला लिया । दोनों जने छत पर बैठकर चाय पीने लगे । छत से नीचे सड़क साफ दिखाई दे रही थी । 

इतने में उसके घर के आगे एक गाड़ी रुकी और उसमें से सक्षम बाहर निकला । गाड़ी कोई महिला ड्राइव कर रही थी । सक्षम ने उस महिला से हाथ जोड़कर विदा ली और उसने डोरबैल बजा दी । अनुपमा ऊपर से नीचे आते हुए यह सोच रही थी कि वह महिला कौन है ? सक्षम अपनी कार से क्यों नहीं आया ? 

अनुपमा ने दरवाजा खोलकर पूछा "आ गये आप ? अपनी गाड़ी नजर नहीं आ रही है" ? उसने जानबूझकर उस महिला का जिक्र इसलिए नहीं किया कि देखते हैं सक्षम उस महिला के बारे में जिसकी गाड़ी में बैठकर सक्षम आया था , क्या बताता है ? 
"हां, आ गया । वो क्या है कि मेरी गाड़ी खराब हो गई थी इसलिए उसे सर्विस के लिए डाल दिया है" । सक्षम ने सोफे पर पसरते हुए कहा । 
"तो क्या "ऊबर" से आये हैं आप" ? अभी भी उसने उसका जिक्र नहीं किया था । 
"नहीं , मेरा फ्रेंड छोड़ गया था यहां पर" । 

अनुपमा को सक्षम की बात सुनकर धक्का सा लगा । "सक्षम यह क्यों नहीं बता रहा है कि वह एक महिला की कार से यहां आया था । यह बात छुपा क्यों रहा है उससे" । अनुपमा सोचने लगी 
"आपके दोस्त को घर के अंदर क्यों नहीं लाए ? अपने हाथ की बनी हुई गरमा गरम चाय पिला देती उसे । वह भी क्या याद रखता ? क्या प्रमोद छोड़कर गया था" ? अनुपमा सस्पेंस से पर्दा हटाना चाहती थी । 
"नहीं, ललित था । मैंने उसे चाय के लिए कहा था मगर उसे जल्दी जाना था इसलिए फिर कभी चाय पीने का वादा करके चला गया" । सक्षम ने स्पाट लहजे में जवाब दिया । 

सक्षम के जवाब से अनुपमा टूट सी गई । सक्षम इस तरह झूठ बोलेगा उसे विश्वास नहीं हुआ । उसने अपनी आंखों से देखा था कि सक्षम को ललित नहीं कोई "ललिता" छोड़कर गई थी । पर इसे छुपाने की आवश्यकता क्या है ? आजकल तो पुरुष स्त्री का भेद ही खत्म हो रहा है । फिर उसे झूठ बोलने की क्या जरूरत आ पड़ी ? वह साफ साफ कह सकता था कि उसकी "कलीग" छोड़ गई थी , इसे छुपाने की क्या वजह हो सकती है" ? अनुपमा का मन खिन्न हो गया । वह अपने भावों को छुपाकर बोली 
"मैं आपके लिए चाय बना दूं" ? 
"हां बना दो । क्या तुम नहीं पियोगी" ? 
"अभी अभी खत्म ही की है मैंने" 
"ठीक है , एक कप ही बनाना , बस" । सक्षम अनुपमा को बांहों में भरते हुए बोला । सक्षम का उसे बांहों में भरना अनुपमा को अच्छा नहीं लग रहा था । उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई पराया मर्द उसे छू रहा हो । वह छिटक कर अलग हो गई और चाय बनाने लगी । 
"अरे इतनी दूरी क्यों है ? पास आओ ना डार्लिंग । चाय थोड़ी देर बाद बना लेना पहले मुंह तो मीठा करा दो कम से कम । कितने घंटे हो गये हैं इंतजार करते करते" ? सक्षम शिकायत करते हुए बोला । अनुपमा चुपचाप चाय बनाती रही, बोली कुछ नहीं । 

चाय बन जाने पर अनुपमा ने उसे सक्षम के सामने टेबल पर रख दिया । सक्षम ने फिर से उसे पकड़ने की कोशिश की लेकिन वह उसकी पकड़ से दूर हो गई  । इस तरह अनुपमा ने उसका यह प्रयास भी विफल कर दिया और घर का काम करने का बहाना करने लगी । 
"जान, मेरा ड्राइविंग लाइसेंस देखा है क्या ? मिल नहीं रहा है" ? सक्षम ने पूछा 
"नहीं तो , आपके पर्स में ही रहता है वह तो । वहीं होगा और कहां जाएगा" ? 
"वहां नहीं है तभी तो पूछ रहा हूं । जरा ढूंढ दो ना प्लीज" सक्षम ने इस तरह कहा कि अनुपमा मना नहीं कर सकी । 

अनुपमा ने सक्षम का पर्स देखा । उसमें किसी लड़की का आधार कार्ड था । उसने मन में सोचा "कौन है ये लड़की ? सक्षम के पर्स में उसका आधार कार्ड क्यों है ? पर ये लड़की वो नहीं है जो सक्षम को छोड़ने आई थी । सक्षम क्या गुल खिला रहा है" ? वह सोचने लगी । 

उसने सक्षम की दराज खोलकर देखा । सारा सामान उलट पलट दिया । अचानक उसे वहां एक अंगूठी दिखाई दी । "यह अंगूठी यहां क्या कर रही है ? यह तो मेरे पर्स में पड़ी हुई थी" । अब उसे लगा कि हो न हो पर्स सक्षम ने ही उड़ाया हो ? शायद मंगल सिंह सही कह रहा था" ? अनुपमा का मन कड़वाहट से भर गया । 
"ये मेरी अंगूठी आपकी दराज में क्या कर रही है ? और आपके पर्स में ये किसका आधार कार्ड है" ? अनुपमा स्वयं को रोक नहीं पाई थी । 
"अंगूठी ! कौन सी अंगूठी" ? सक्षम ने ऐसे कहा जैसे उसे कुछ पता ही नहीं हो 
"ये वाली अंगूठी" कहकर अनुपमा ने उस अंगूठी को सक्षम के सामने रख दिया । 
"मुझे याद नहीं है । शायद तुमने ही रखी हो" ? 
"मैं क्यों रखूंगी उसे वहां" ? अनुपमा ने व्यंग्यात्मक हंसी हंसकर कहा । "और ये आधार कार्ड" ? 
"मेरी बॉस का है । इसमें पता बदलवाना था । किसी ई मित्र कियोस्क पर जाकर बदलवाऊंगा" । 
"यह काम तो ऑनलाइन भी हो सकता था फिर तुम क्यों जाओगे ई मित्र कियोस्क पर" ? उसने सवाल दाग दिया । 
"अरे यार , उसने कह दिया तो मैं मना करता क्या ? तुम भी ऐसी बात करती हो । यदि ऑनलाइन की इतनी ही एक्सपर्ट हो तो तुम ही चेंज कर दो इसका एड्रेस" । सक्षम ने कहा 
"मैं क्यों करूं ? मेरी बॉस थोड़ी ना है वो ? आपकी है तो आप ही करो उसकी चमचागिरी" उसने बुरा सा मुंह बनाकर कहा । 

अनुपमा का रूखा व्यवहार सक्षम को अच्छा नहीं लगा फिर भी वह चुप ही रहा । 
(अगले अंक में आप पढेंगे कि क्या अनुपमा और सक्षम में शक की दीवार खड़ी हो गई है और क्या इस दीवार को अक्षत और मजबूत करेगा ) 

श्री हरि 
4.6.2023 

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8 Comments

Gunjan Kamal

03-Jul-2023 10:19 AM

Nice one

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Hari Shanker Goyal "Hari"

05-Jul-2023 09:37 AM

🙏🙏🙏

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Alka jain

27-Jun-2023 07:32 PM

Nice 👍🏼

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Hari Shanker Goyal "Hari"

05-Jul-2023 09:37 AM

🙏🙏🙏

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Shnaya

27-Jun-2023 06:21 PM

Nice one

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Hari Shanker Goyal "Hari"

05-Jul-2023 09:36 AM

💐💐💐🙏🙏🙏

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